Wednesday, September 12, 2007

क्या ये हम नहीं...?....

किसी के इतने पास न जा
कि दूर जाना खौफ़ बन जाये,
एक कदम पीछे देखने पर
सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये
किसी को इतना अपना न बना
कि उसे खोने का डर लगा रहे
इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न आये
कि तू पल पल खुद को ही खोने लगे
किसी के इतने सपने न देख
कि काली रात भी रन्गीली लगे
और......
जब आंख खुले तो बर्दाश्त न हो
जब सपना टूट टूट कर बिखरने लगे..............
किसी को इतना प्यार न कर
कि बैठे बैठे आंख नम हो जाये
उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाये
किसी के बारे मे इतना न सोच
कि सोच का मतलब ही वो बन जाये
भीड के बीच भी लगे तन्हाई से जकडे गये
किसी को इतना याद न कर
कि जहा वो ही नज़र आये...
रह देख देख कर कही ऐसा न होजिन्दगी पीछे छूट जाये
ऐसा सोच कर अकेले न रहना,
किसी के पास जाने से न डरना
न सोच अकेलेपन मे कोई गम नही,
खुद की परछाई देख बोलोगे
......... "ये हम नही

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